नई दिल्ली। सिक्किम क्षेत्र में सीमा विवाद को लेकर भारत ने चीन को नसीहत देते हुए अपना रुख साफ कर दिया है। साथ ही भारत चीन की धमकियों से पीछे हटने वाला नहीं है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भाम्रे ने कहा कि इस मुद्दे को कूटनीतिक स्तर पर निपटाया जाना चाहिए, यही हम चाहते हैं।
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उन्होंने कहा, ”चीनी सेनाओं को वापस उसी जगह पर जाना चाहिए, जहां वे पहले मौजूद थीं। वे भूटान के क्षेत्र में घुस गई हैं। उनको ऐसा नहीं करना चाहिए। इसकी वजह से हमारी सुरक्षा चिंताएं बढ़ी हैं।” जिस जगह को लेकर भारत और चीन के बीच विवाद है वह सिलिगुड़ी गलियारा से मात्र 50 किलोमीटर दूर है। दरअसल चीन सड़क निर्माण कर अपनी पहुंच चुंबी घाटी तक बढ़ाना चाहता है। जिसे लेकर भारत ने विरोध किया है।
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विवाद का मुख्य वजह डोकलम पठार है। इस क्षेत्र को लेकर चीन और भूटान के बीच विवाद है। चीन इसे अपना क्षेत्र बताता है और समय-समय पर अपनी गश्ती दल को यहां भेजता रहता है। दरअसल चीन भारत को घेरना चाहता है। यदि चीन इस क्षेत्र में सड़क निर्माण करने में कामयाब हो जाता है तो चीन की पहुंच चुंबी घाटी तक हो जाएगी। जिससे भारत का ‘चिकन नेक’ कहा जाने वाला सिलीगुड़ी गलियारा चीन के सामरिक पहुंच में आ जाएगा।
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बता दें कि सिलीगुड़ी गलियारा पश्चिम बंगाल का हिस्सा है। यह एक मात्र गलियारा है जो भारत को उसके उत्तर पूर्वी राज्यों से जोड़ता है। चुंबी घाटी ठीक सिलीगुड़ी गलियारे के ऊपर स्थित है। चुंबी घाटी सिक्किम और भूटान को अलग करती है। चुंबी घाटी ही भारतीय राज्य सिक्किम और भूटान की सीमा को विभाजित करती है।
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ताजा विवाद उस भूमि को लेकर है जो भारत, तिब्बत और भूटान का मिलन स्थल कहा जाता है। चीन इस मिलन स्थल डोका ला तक सड़क बनाना चाहता है। जिसका भारत ने विरोध किया है। दरअसल भूटान और चीन के बीच राजनीतिक संबंध नहीं है। इसलिए भूटान ने भारत के जरिये अपनी बात चीन के सामने रखा है।
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